Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 146

 

Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 146



शाम को डिनर पर जब कार्तिक और उसकी फैमिली एक साथ डिनर करने के लिए बैठे थे , तो उसकी मां शीला ने खाना परोसते हुए दादी मां की ओर देखते हुए कहा" मा जी कार्तिक से आप कुछ बात करना चाहती थी तो क्यों ना हम सभी एक साथ हैं तो बात कर ली जाए " 

दादी मां ने कहा " हां हां क्यों नहीं अभी तो सारे लोग एक साथ बैठे हुए हैं इससे अच्छा मौका और क्या हो सकता है"

कार्तिक बाकी फैमिली मेंबर्स की ओर एक-एक करके आश्चर्य से देख रहा था वह सोच रहा था अब क्या नया बम फूटने वाला है मेरे सर पर यह सब मुझे ही क्यों देख रहे हैं कार्तिक ने पूछा "क्या हुआ ऐसे सब मुझे ही क्यों देख रहे हो , क्या मैं ठीक नहीं लग रहा " 

दादी मां ने हंसते हुए कहा " नहीं ऐसी कोई बात नहीं है तुम तो हम सब से ठीक लग रहे हो, दरअसल बात यह थी कि कल तुम्हारे पापा के नंबर पर ओमकार जी का फोन आया था और वह शादी का मुहूर्त निकलवाने के लिए कह रहे थे तो पंडित जी से मुहूर्त पूछने से पहले हमने एक बार तुमसे बात करने के लिए सोचा कि तुम अब कैसा फील करते हो क्या तुम शादी करने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो अगर हां तो हम कल ही पंडित जी को बुलाकर शादी की बात कर लेते हैं और उनसे बारात के लिए शुभ मुहूर्त पूछ लेते हैं"


 कार्तिक ने पापा की ओर देखा और कहा " दादी मां अब मैं क्या बोलूं आपको जो अच्छा लगता हो आप वैसा कर लो।"

कार्तिक की बात सुनकर राजेश जी सहित बाकी घर वालों के चेहरे पर मुस्कान आ गई राजेश जी अपने बेटे से मजे लेते हुए बोले " मां बेटा बड़ा हो गया है अब थोड़े ना कहेगा मेरी शादी कर दो " ठीक है मैं कल पंडित जी को फोन करके घर बुला लेता हूं और शादी के शुभ मुहूर्त का भी पूछ लेते हैं "

कार्तिक के चेहरे के 12:00 बज चुके थे उसका चेहरा शर्म से लाल हो रहा था उसने एक लंबी सी सांस ली और मां की ओर देखकर बोला "क्या आप भी सब लोग मेरा हमेशा मजाक बनाते रहते हो और पापा तो ना जाने क्यों ही मुझे हमेशा लेट डाउन करते रहते हैं "

शीला जी ने मुस्कुराते हुए कहा "अरे चल छोड़ ना पापा है तेरे तुझसे मजाक नहीं करेंगे तो फिर भला किससे करने जाएंगे तू भी तो नहीं कोई भी मौका छोड़ता है "


कार्तिक ने अब आगे कुछ नहीं कहा और खाना खाने पर ध्यान देने लगा ।

राजेश जी और शीला जी दोनों मिलकर बात करने लगे और राजेश जी ने कहा ठीक है कल पंडित जी को घर बुला लेते हैं और फाइनल करवा लेते हैं।


खाना खाने के बाद सारे लोग अपने अपने कमरे में चले गए कार्तिक ने नीलू को कॉल लगा दिया और कहा "हेलो नीलू क्या कल तुम मुझसे मिल सकती हो " नीलू ने आश्चर्य से पूछा "क्यों कल तो मिली थी, तुम कल ऑफिस नहीं जाने वाले क्या "

कार्तिक ने कहा" वैसे तो ऑफिस जाना ही था लेकिन एडजेस्ट कर लूंगा , हाफ डे में चला जाऊंगा, तुमसे मिलना है और मिलकर बहुत जरूरी बात करनी है"

नीलू "यार मैं एकदम अचानक से क्या बहाना बनाऊं, कॉलेज भी तो बंद चल रहे हैं, क्या करूं, चलो मैं कुछ सोचती हूं ,मैं बताती हूं मॉर्निंग में "

कार्तिक ने कहा" ठीक है मॉर्निंग तक मुझे पक्का बता देना ,बताना क्या तुम्हें कल आना है "

नीलू ने हड़बड़ाते बढ़ाते हुए कहा " हां ठीक ठीक है , मैं मैं कल बताती हूं, कल आती हूं"


फिर नीलू ने कार्तिक से पूछा "अच्छा यह तो बताओ अचानक से तुम्हें हुआ क्या , कल तो तुम कह रहे थे इतनी जल्दी नहीं मिल सकती , अगले संडे को मिलेंगे लेकिन अचानक से क्या हुआ , क्या चल क्या रहा है तुम्हारे मन में यार, प्लीज मुझे फोन पर ही बता दो ना 

कार्तिक " यार दरअसल बात यह है कि तुम्हारे पापा ने मेरे घर पर फोन करके शादी के लिए मुहूर्त निकलवाने के लिए कह दिया है ,इसलिए कल पापा पंडित जी से मुहूर्त निकलवाने वाले हैं और हमारी जल्दी जल्दी ही करवाने वाले हैं , इसलिए मैं तुमसे मिलकर कुछ जरूरी बातें शेयर करना चाहता हूं ताकि आगे चलकर कोई भी प्रॉब्लम ना हो"

नीलू एक बार फिर से हैरानी में पड़ गई और बोली "क्या पापा ने फोन किया था , पापा भी ना , क्या जल्दी पड़ी है , "


लग रहा है यह पापा लोग अब तो हमारी शादी जल्दी करवा कर ही मानेंगे

कार्तिक ने हंसते हुए पूछा" तुम नहीं चाहती कि मेरी शादी जल्दी से हो "

नीलू हंसने लगी और बोली" मैं तो जा रही हूं कि आज रात को ही हो जाए ।"


कार्तिक ने हंसते हुए कहा "तो फिर केसर वाला दूध तैयार रखना रातको आने वाला हूं क्योंकि आज हमारी सुहागरात होनी चाहिए"


नीलू ने कहा " डियर कंट्रोल योर इमोशंस , थोड़ा सा इंतजार कर लो वह भी हो जाएगा "

कार्तिक "यार अब और इंतजार नहीं होता मुझसे "

नीलू "तो क्या करोगे फिर "

कार्तिक" यह तो मैं तुम्हे तभी बताऊंगा जब तुम मेरे पास आओगी , 

नीलू मुस्कुराई और बोली "ठीक है कुछ भी करके मैं कल आती हूं "

कार्तिक ने कहा" ठीक है 2:00 बजे के करीब तुम्हारा इंतजार करूंगा"

नीलू ने कहा ठीक अभी मुझे मां के पास जाना है और तुम आराम कर लो।


नीलू अपनी मां के पास चली और कार्तिक बैठा है फोन में कुछ लिख कर देते नीलू और अपने बारे में सोचता रहा प्लानिंग कर रहा था कि कल नीलू से मिलने पर उस लेटर वाली बात को किस तरीके से नीलू के सामने रखेगा और किस तरीके से उसे अपने प्यार का इजहार करेगा ताकि नीलू को स्पेशल फील और दोनों के बीच नजदीकियां और भी ज्यादा बन सके।



नीलू की मां ने नीलू को अपने पास बुलाया और बैठा कर कुछ जरूरी बातें करने के लिए कहा नीलू को समझाते हुए कहा कि बेटा कल तुम्हारे पापा कार्तिक के घर जा रहे हैं और शादी के मुहूर्त की बात करके बाकी तैयारियों के बारे में डिसकस करेंगे मैं इसलिए तुम्हें बता रही हूं ताकि तुम भी मानसिक तौर पर शादी के लिए तैयार हो जाओ और अब बैचलर लाइफ से निकलकर मैरिड लाइफ के बारे में सोचना शुरु कर दो, नीलू शांत और सरल स्वभाव से बैठी अपनी मां की बातें सुनती रही।


नीलू की मां नीलू को ससुराल में किस तरीके से भी है वो करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इस तरह की बातें समझा रही थी तभी नीलू ने मां से पूछा कि मैं यह सब करना जरूरी है क्या क्या वह मेरा घर नहीं है जहां पर मैं अपनी स्वतंत्रता से जी सकूं जैसे अपने घर पर जी रहे हो मां ने मुस्कुराते हुए कहा बेटा यह तो सदियों से चलती आ रही है रीत है ससुराल में बेटी को बहू बनकर ही रहना पड़ता है और बहू की कुछ अपने अलग कर्तव्य होते हैं जिसे निभा ना उसकी जिम्मेदारी होती है।

और भी जिम्मेदारियां तुम्हें निभानी ही होगी जिससे तुम्हारे परिवार वाले तुमसे खुश रहें और घर में सुख शांति का माहौल हमेशा बना रहे।






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