google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 174

Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 174

 

Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 174


रजनी जी की बाते सुन कर कार्तिक के घर बाले भी टेंशन में आ गए , जमाना बाकई में ख़राब है , इसलिए जवान बच्चो को कुछ भी नहीं दिखाई देता है | 

कार्तिक और नीलू अपनी नाराजगी भूल कर अब शॉक्ड हो कर एक दूसरे को ही देख रहे थे |

थोड़ी देर और बाते करने के बाद , राजेश जी ने एक लिफाफा निकला और ओमकार जी की ओर बढ़ाते हुए कहा " लो जी ये रही शुभ मुहूर्त की तारीखे , अब आप जल्दी से शादी की तयारी में जुट जाओ "

शादी की बात सुनते ही नीलू और कार्तिके फेस पर स्माइल आ गयी थी |


ओमकार जी ने वो लिफाफा लिया और खोल कर देखते हुए बोले " मुबारक हो जी अब आप जल्दी ही हमारी बेटी को ब्याह के ले जाने बाले है " , और फिर रजनी की ओर देखते हुए बोले " अरे भाग्यबान अब तो हमारे पास ज्यादा टाइम ही नहीं बचा है " 

रजनी जी ने कहा " ऊपर बाले के हाथ में छोड़ दो सब हो जायेगा , बस आप अपना कर्म करो "


अब ओमकार जी ने अपने हाथो से मिठाई निकल कर सबको दी और मुँह मीठा कराया , ओमकार ने अपनी पत्नी से कहा " अब तो काफी टाइम हो गया , इन लोगो के खाने पीने का इंतजाम भी करो "

रजनी ने कहा " हाँ खाना लभग तैयार हो ही चुका है , बस कहिये तो अभी लगवा देते है खाना |"

ओमकार जी ने कहा " हाँ अब खाने का तो टाइम हो ही चुका है , और ये लोग चल कर भी आये है तो भूख भी लगी होगी "


राजेश जी ने कहा " भाई साहब बैठिये और बात कीजिये खाना भी हो जायेगा , अभी कोनसा टाइम निकला जा रहा है "

ओमकार जी ने कहा " अरे भाई साहब पहले आप खाना खा ही लीजिये क्युकी आपकी खिदमत में इन्होने कई सारे आइटम रखे है तो सारे एक बार में तो परोसना ठीक ही नहीं रहेगा तो धीरे धीरे शाम तक ......."


राजेश जी ने हाथ जोड़े और बोले " आज कल मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है सो मैं तो बस नार्मल भोजन ही करुगा , इन बच्चो का ये जाने "

ओमकार जी ने कहा " ये तो कोई बात नहीं हुई , ऐसे कैसे आज तो आपको हमारे यहाँ भरपेट खाना पड़ेगा "


राजेश जी और ओमकार जी अपना आपस में हसी मजाक करते रहे , तभी कार्तिक और नीलू उठ कर वहां से उठ कर खड़े होगये , तो रेशमा जी ने कार्तिक और नीलू से कहा " अगर आप लोगो को एकांत में कुछ बाते करनी हो तो अगर नीलू के पापा अगर इजाजत दे तो जा कर आप बाते कर सकते हो "


रेशमा जी की बात सुन कर ओमकार जी ने कहा " हाँ हाँ क्यों नहीं , दोनों बच्चे अगर बात करना चाहते है तो कर सकते है हमे क्या ही हर्ज है , वैसे भी दोनों बच्चे समझदार है अपनी मर्यादाये समझते है "


शीला जी ने नीलू के सर पर हाथ रखते हुए कार्तिक से साथ अंदर कमरे में जाने का इशारा कर दिया .... नीलू  अपने रूम की जाने लगी और उसके पीछे पीछे कार्तिक भी रूप में पहुंच गया ||

नीलू अपने कमरे में मिरर के सामने जा कर खड़ी हो गयी , कार्तिक भी उसके थोड़े पीछे खड़ा था , लेकिन नीलू ने कार्तिक से कुछ भी नहीं बोला ...... अब कार्तिक ने गेट बंद कर लिया , तो नीलू ने कहा " आप गेट क्यों बंद कर रहे हो , अभी सब तो बाहर है क्या सोचेंगे " कार्तिक ने कहा " पहले तो ये बताओ जब तुम्हे पता था की मेरे घर बाले यहाँ आने बाले है तो मुझे कॉल करके बता नहीं सकती थी "


" ग्रेट , शादी हुई नहीं उससे पहले ही रिमोट मेरे ही हाथ में पकड़ा दिया है क्या आपके घर बाले ने हमारे हाथ में " नीलू ने गुस्से में कहा | "अरे इसमें रिमोट कहाँ से आ गया " कार्तिक ने नीलू की ओर देख कर कहा 

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अब नीलू ने पलटबार करते हुए कहा " यही सेम क्वेश्चन मैं भी करू तो कैसा रहेगा " 

हैरानी से नीलू की ओर कार्तिक ने देखा और बोला " जब मुझे कुछ पता होगा तब न कुछ बोलूगा मैं "

"क्या तुम्हे भी नहीं पता था की तुम हमारे घर आने बाले हो " नीलू ने आश्चर्यस से पूछा 

"तुम्हे भी से क्या मतलब तुम्हारा " कार्तिक ने नीलू को पकड़ कर अपनी ओर करते हुए पूछा 


मुझे भी नहीं पता था मेरी माँ ने ये सब सीक्रेट बना के रखा था प्लान - नीलू ने कार्तिक की आँखों में देखा 

ये घर बाले आखिर क्या चाह रहे थे आज हमसे न तो तुम्हे बताया और न ही मुझे , 


सरप्राइज ................. नीलू ने कहा 

चलो अच्छा ही हुआ , उस धुप में मिलने से तो अच्छा ही है की कम से कम रूम में तो मिल रहे है 


अच्छा तो तुम धुप के डर से मुझसे मिलने आने ही बंद कर दोगे क्या , 

चलो छोड़ो ये बताओ तुम्हारी माँ किसके बारे बता रही थी की रात को कमरे में घुसने बाली बात 


नीलू ने कहा " obviously हमारे बारे में और किसके बारे में कहेगी , और ये सब तुम्हरे चक्कर में हुआ था "

मेरे ,मेरे चक्कर में क्यों , तुमने ही तो कहा था की रात को आजाना सो मैं आ गया था , अब इसमें सिर्फ मेरा ही कसूर तो नहीं हो सकता है ||


कार्तिक तुम्हे पता भी है , माँ अब मुझे दूसरी नजर से देखने लगी है , उन्होंने मुझसे कहा जरूर कुछ नहीं है लेकिन उसके स्वभाव से लगता है की वो हमसे बहुत नाराज है ||

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तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे मैंने ये सब प्रीप्लान करके तुम्हे बुरा करबाने के लिए किया था , मुझे क्या पता की उन्हें भी पता चल जायेगा ||


कार्तिक तुम समझ नहीं रहे हो , खैर तुम तो छोडो ही अब ये बताओ की अचानक से पापा को शादी बाला भूत कैसे चढ़ गया ?


मुझे नहीं पता यार , मैं तो कल ऑफिस से आया तो बताया की पंडित जी से शुभ मुहूर्त की बात करली है , और ये नहीं बताया की कल तुम्हारे घर आना है |

अच्छा ये बताओ तुम मिल कर क्या कहने बाली थी जो बिना मिले नहीं कह पा रही थी 


कार्तिक अब तुम रहने ही दो , मैं क्या ही कहू , मेरा दिमाग उस दिन बहुत ही ज्यादा ख़राब हुआ था , तुम पूरी तरह से नाकाम हो गए थे | मुझे लगता है तुम्हे डॉक्टर के पास जाना चाहिए ||


तुम क्या कहना चाह रही हो , मैं कुछ समझा नहीं , डॉक्टर के पास मतलब ??

कार्तिक अब मुझे शर्म आ रही है कैसे तुम्हे समझाऊ ??

तभी दरवाजा नौक होने की अबाज आने लगी .... कार्तिक ने मुँह बनाते हुए दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढ़ाया ...


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