Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 173
कार्तिक गुस्से में उठ कर घर के बाहर चला गया तो शीला जी ने राजेश जी से इसरा करते हुए कहा " देखो जी बाहर जा कर , कही बापस न चला जाये "
राजेश जी उठ कर बाहर की ओर आये तो देखा कार्तिक बाहर खड़ा अपना फ़ोन देख रहा है , राजेश जी पास जा कर बोले " बेटा कार्तिक क्या हुआ , यहां क्यों खड़े हो ?"
कार्तिक ने कुछ नहीं कहा और घूम कर खड़ा हो गया ||
राजेश ही फिर से बोले " कार्तिक ये हमारा घर नहीं है ये तुम्हारी ससुराल है यहाँ ऐसे मुँह फुला कर खड़े रहना सब तुम्हारा मजाक ही बनायेगे "
अब कार्तिक गुस्से में मुड कर बोला ' मजाक तो तुम लोगो ने बना दिया है "
राजेश जी " यार तुम तो उस बात को ले कर ही बैठ गए हो , क्या सरप्राइज देना नए ज़माने के लोगो का ही अधिकार है , तुमने अपनी माँ को कितनी बार सरप्राइज दिया है हमने तो कभी बुरा नहीं माना "
कार्तिक अब शांत रह गया , राजेश जी ने फिर कहा " चलो अंदर गुस्सा बगैर जो करना है वो अपने घर पर करना "
कार्तिक ने मुड कर देखा की रिया और प्रिया भी दरवाजे पर खड़े सब कुछ सुन रही थी ,, और मुस्करा रही थी |
कार्तिक निचे निगाहे किये हुए फिर से अपने पापा के साथ अंदर आ जाता है ||
अंदर पहुंचने पर ओमकार जी ने पूछा " क्या हुआ कार्तिक बेटा , क्यों परेशान से लग रहे हो "
कार्तिक ने बिना उनकी ओर देखे ही मना करते हुए सर हिला दिया ||
रजनी जी कहने लगी शायद दामाद जी शरमा रहे है, कार्तिक मन ही मन कह रहा था की एक तो मेरा पप्पू बना रखा है ऊपर से ये लोग नमक लगा रहे है || और ये अब तक नीलू क्यों नहीं निकल कर आयी है , इसे क्या हुआ है अब तक ?
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कार्तिक को अब पीने के लिए पानी दिया गया , कार्तिक धीरे धीरे बैठा हुआ पानी पीने लगा , तभी अंदर से प्लेट में मिठाई लिए हुए नीलू आयी , उसके सर पर चुन्नी थी , स्काई ब्लू कलर के सालबार सूट में नीलू का लुक अलग ही निखर कर आ रहा था , नीचे निगाहे किये जब नीलू उन लोगो के पास तक आयी और सबको नमस्ते किया ||
शीला जी ने अपने बगल बाली कुर्सी पर बैठने का इशारा करते हुए कहा " बेटा यहां बैठ जाओ "
जब हलकी सी निगाह ऊपर करके नीलू ने देखा तो कार्तिक उसे ही गुस्से में घूर रहा था , जब कार्तिक को ऐसा करते हुए देखा तो नीलू ने सोचा इसे क्या हुआ ये ऐसे क्यों घूर रहा है गुस्से में , और ये कैसे नौकरो बाले कपडे पहने हुआ है , कम से कम कपडे तो ढंग के पहन के आया होता , क्या ड्रेसिंग सेन्स है , मेरी फ्रेंड्स आती ही होंगी वो क्या सोचेगी इसके बारे में ||
अब नीलू शीला जी और कार्तिक की दादी माँ से बाते करने में ब्यस्त होगयी , और कार्तिक उनकी बाते सुनाने में मस्त हो गया , अब कार्तिक कुछ नार्मल सा हुआ , और इंतजार कर ने लगा की कब घर बाले उसे भी नीलू से बाते करने का मौका दे और बो नीलू पर अपनी भड़ास निकल सके ||
चाय नास्ता होने के बाद जब ओमकार जी ने राजेश जी और उनकी माँ से पूछा " कब का और कैसे प्रोग्राम सेट कर रहे हो "
तो कार्तिक की दादी माँ यानि रेशमा जी ने उन्हें बताया की उनके पंडित ने तो अगले महीने की ही तारिख निकाली है , अगर आपके कोई फैमिली पुरोहित हो तो आप भी एक बार अपनी संतुष्टि के लिए दोनों की कुंडली दिखवा लीजिये ||
ओमकार जी ने अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा " आपने अगर शुभ मुहूर्त निकलवाया है तो क्या गलत तो होगा नहीं अब मैं क्या ही बोलू इसमें "
तभी ओमकार जी की पत्नी रजनी ने कहा " वैसे तो पंडित जी पत्रा देख कर ही सब कुछ निर्धारित करते है और शुभ भी होता है , लेकिन फिर भी आप पंडित जी से एक बार इसके बारे में पूछ ही लेना "
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ओमकार ने अपनी पत्नी की ओर देखा और कहा " ठीक है देख लेंगे लेकिन ये लोग भी तो दिखवा के ही आये है , हमे कोई प्रॉब्लम नहीं है "
राजेश जी ने कहा " नहीं भाई साहब भाभी जी सही कह रही है , के बार आप भी जरूर चेक करवाए , मेल जोल खा रहा है या नहीं दोनों का "
ओमकार जी ने कहा " सब ऊपर बाले के हाथ में होता है , हम नीचे बाले तो चाहे कितने ही पंडित क्यों न बन जाये लेकिन सब कुछ उसी की मर्जी से होता है "
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कार्तिक की दादी माँ ने कहा " हाँ ये बात तो बिलकुल ही सही है , ऊपर बाले से आगे तो कोई भी नहीं है ,"
ओमकार जी ने दादी में सामने हाथ जोड़े और बोले " वैसे भी जमाना ख़राब है , हमारे बच्चे भी जवान हो चुके है , इसलिए जबान बेटी का बाप होने के नाते एक अलग ही किस्म का डर सा लगा रहता है मन में ??"
रेशमा जी ने कहा " हाँ बेटा ज़माने का तो क्या ही कहे , आह कल के बच्चे कुछ ज्यादा ही समझदार होगये है है उनके लिए समाज और डर तो बिलकुल रहा ही नहीं है , गलियों चौराहे और पार्को में कही भी चले जाओ , उन पर एक अलग किस्म का खुमार छाया रहता है , बड़े बुजुर्गो का भी लिहाज करना भूल गए है |
लेकिन ओमकार बेटा हम अपने बेटे कार्तिक की पूरी जिम्मेदारी ले सकते है , उसकी आज तक ऐसी कोई भी हरकत न तो देखने को मिली है और न ही कभी कोई ऐसी शिकायत कही से ... इसलिए हम कार्तिक की ओर से निश्चिन्त है "
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रेशमा जी ने अपनी बात पूरी की ही थी की तभी शीला जी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा " पांचो उंगलियां एक जैसी नहीं होती है , लेकिन फिर भी जमाना ख़राब है ही , सही बात कह रहे है भाई साहब , अब तो सब कुछ ठीक ही है तो जल्दी से दोनों की शादी हो ही जाने चाहिए "
अब नीलू की माँ रजनी जी ने कहा " हाँ बात तो सही है लेकिन वक्त को कहाँ ले कर जाओगे , बयार ही ऐसी चल पड़ी है की इस जनरेशन के बच्चों पर पश्चिमी देशो की सभ्यता का असर पद रहा है , अभी कुछ ही दिन पहले की बात है हमारे मोहल्ले में एक लड़की ने लड़के को खिलड़की के रास्ते अंदर बुला लिया था और शादी से पहले ही दोनों रात भर एक साथ थे , अब ऐसे में घर बाले क्या ही कर सकते है , अगर कुछ कहे तो बात अपनी ही बिगड़ेगी और मुहल्ले में बदनामी भी होगी "
रजनी जी की बात सुन कर सब उनकी ही ओर देखने लगे खासकर कार्तिक और नीलू के चेहरे तो देखने लायक थे || अब कार्तिक और नीलू एक दूसरे की ओर शॉक्ड हो कर देखते ही रह गए ||
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