google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 204

Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 204


Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 204


अगले दिन सुबह ही कार्तिक जल्दी उठा और तैयार हो कर घर से जाने लगा तो उसके पापा ने उसे रोका और पूछा कहाँ चल पड़े जनाब , तुन्हे पता भी है मात्र आठ दिन बचे है और कितने काम करने बाकी है , invitation कार्ड भी नहीं बने है अभी , और तो और कितने काम है , आज तुम्हे पूरा दिन मेरे साथ चलना होगा , कुछ जरुरी काम आज निपटा लेते है , क्युकी आज संडे है तुम्हारी भी छुट्टी है |


कार्तिक तैयार दूल्हे की तरह खड़ा हुआ था , रिया और शीला भी उसे ही देखे जा रही थी की आज कार्तिक इतनी जल्दी कहाँ जा रहा होगा , अब जहाँ भी जा रहा हो बेचारा पापा ने रोक लिया और पापा के तेबर देख कर ऐसा नहीं लग रहा की पापा आज मानाने बाले है ....


रिया बीच में ही बोल पड़ी " भाई कहाँ जा रहे हो ? बिना बताये ? वो भी इतनी सुबह ?"

कार्तिक ने रिया से आंखे निकलते हुए कहा " तू चुप कर तुझे तो मैं देखूगा ... और पापा आप भी न मैं अभी किसी जरुरी काम से जा रहा हूँ , जल्दी आजाऊंगा फिर करते है न काम "


राजेश जी ने बड़े अदब के साथ कार्तिक की और देखा और मुस्कराते हुए बोले " इतनी सुबह सुबह मेरा राजा बाबू कहाँ  जा रहा है ?"


" तुम्हारी होने बाली बहू से मिलने " .... ये अबाज सुनते ही सबके कान खड़े हो गए .. सब के सब एक साथ मुड़ कर देखने लगे ...


राजेश जी शीला से बोले " तुम्हे कैसे पता ? और हाँ बेटे का इतना पक्ष लेना बंद करो "

शीला जी ने कहा " अरे इतनी सुबह जवान लड़का और कहाँ जा सकता है ,, अरे उनकी शादी है , उनकी भी अपनी कुछ प्लानिंग होगी तो नहीं करेंगे .. क्या ? ,, तुम्हारी प्लानिंग तुम करो ..."


माँ की बात सुन कर कार्तिक शर्म से पानी पानी हो गया , उसे समझ नहीं आ रहा था की माँ उसका पक्ष ले रही है या फिर उसकी बेज्जती में उसके कपड़े उतार रही है "


बे सब अपनी अपनी बाते आपस में करने लगे ... कार्तिक बस मूक दर्शक की भाति बस सबकी और बरी बरी देख लेता और कुछ नहीं कह पा रहा था |


अगर ऐसा है तो जाओ बेटा ... हमारा क्या है , देख लेंगे अकेले ही सारे काम ... राजेश जी कहते हुए अपने कमरे में चले गए ...


कार्तिक का मूड ऑफ़ हो चुका था , सोच रहा था की क्या है मेरी फॅमिली ... साला अपनी ही बीबी से मिलने जाने के लिए इतने पापड़ बेलने पड़ रहे है , सबके अलग अलग ताने सुनो ... कोई कुछ कहता है तो कोई कुछ 


नीलू भी जल्दी से तैयार हो कर घर बहार आ गयी ,.... और कार्तिक के आने का इंतजार कर रही थी ... और कार्तिक अभी तक अपने घर पर ही था ||

थोड़ा इंतजार करने के बाद नीलू ने उसे कॉल कर दिया ......

कार्तिक ने कॉल रिसीव किया और बोला " कहाँ हो तुम ?"

नीलू ने कहा ' मैं तुम्हारा यहाँ इंतजार कर रही हूँ , कितनी देर में पहुंच रहे हो "

कार्तिक " मैं अभी घर पर ही बाइक निकाल रहा हूँ "

" घर पर ही हो मतलब , तुमने तो बीस मिंट पहले ही कॉल कर दिया था की तुम निकल गए हो " नीलू ने तेज और गर्माती आवाज में कहा 

कार्तिक की आवाज अब लड़खड़ाने लगी और बोला " यार क्या ही बताऊ , मैं निकल ही रहा था की पापा ने मुझे रोक लिया , तुम नहीं समझोगी मुझे क्या क्या सुनाने को मिला है इतनी सुबह "

नीलू " मतलब "

कार्तिक " मतलब साफ़ है तुम्हारी बजह से है सब कुछ "

नीलू का गुस्सा बढ़ चुका था , वो बापस अपने घर की जाने लगी और बोली " अब जब ये सब मेरी बजह से ही हुआ है तो ठीक है मैं अब घर बापस जा रही हूँ , करते रहना अकेले ही शॉपिंग "

कार्तिक ने कहा " अब मेरा दिमाग मत ख़राब करो , मैं घर से बहार आ गया हूँ , और बस दस मिंट में तुम्हरे पास पहुंचने बाला हूँ "

नीलू " दिमाग तो तुमने मेरा ख़राब कर दिया है , बताओ मेरी बजह से बोल रहे हो ,,"

कार्तिक ने कॉल कट कर दिया और बाइक की स्पीड और बढ़ा दी ...

कार्तिक रास्ते भर सोच रहा था की कही नीलू गुस्से से घर बापस न चली जाए ||


कुछ ही देर बाद कार्तिक उसी बताये हुआ स्थान पर पहुंच गया ,,, उसे नीलू दिखाई नहीं दी ...

उसने फिर से नीलू को कॉल किया ' कहाँ हो ?'

नीलू " पहले ये बताओ तुम कहाँ हो ?"

कार्तिक " मैं तो जहाँ जाना था वहां पहुंच गया हूँ "

नीलू ने कहा " सामने देखो ... "


कार्तिक ने कॉल डिसकनेक्ट किया और सामने देखने लगा ... उसके सामने नीलू खड़ी थी वो बला की खूबसूरत लग रही थी ...

उसे देखते ही कार्तिक का गुस्सा जाने कहाँ हिरण हो गया ... मन में सोचने लगा अभी हग करके किश कर लिया जाये .. लेकिन गुस्से से लाल नीलू उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं देगी |


नीलू " क्या ? क्या देख रहे हो अब"

कार्तिक मुस्कराते हुए बोला " कुछ नहीं बस एक खूबसुरता लड़की को और भी ज्यादा खूबसूरत होते हुए देख रहा हूँ "

नीलू ने मुँह टेढ़ा किया और बोली " हुँह , बड़े आये खुबसुरती देखने बाले ... "

कार्तिक " वैसे किसी ने सच ही कहा है की गुस्से में लड़की और भी हसीं होती चली जाती है '

नीलू ने कहा " मानाने का ये तरीका बहुत पुराना हो चुका है "

कार्तिक ने कहा " तरीका भले ही पुराना हो गया हो लेकिन हमारे जज्बात तो तरोताजा है "

नीलू " उसका मैं क्या करू बताओ ... पहनू या फिर ओढ़ लू "

कार्तिक ने कहा " वो भी कर लेना , लेकिन अभी यही खड़ी रहोगी या फिर कही चलना भी है |

नीलू ने कहा " कोनसी जन्नत में ले के जाने बाले हो "

कार्तिक " ओहो डार्लिंग अब गुस्सा थूक दो ... इस पल का मजा लो .. क्या पता ये लम्हा दुबारा न आये "

नीलू ने कहा " रहने दो , शायर मत बनो .. और बताओ कहाँ लेके चल रहे हो "

कार्तिक " जहाँ कोई आता जाता न हो "

नीलू " ऐसी कोई जगह नहीं है यहां "

कार्तिक स्माइल करते हुए " तो फिर होटल चले "

नीलू हरकत भरी स्माइल करते हुए बोली " सच्ची "

कार्तिक " मुच्ची"

नीलू " आज मेरा मन कोई रोमांटिक मूवी देखने का कर रहा है "

कार्तिक मन ही मन सोचने लगा " अरे यार फालतू की मूवी में तीन घंटे बर्बाद करेगी मेडम ..."

नीलू " क्या सोच रहे हो ... "

कार्तिक " सोचना क्या तुम्हारा आदेश सर आँखों पर "

अब कार्तिक ने नीलू को अपनी बाइक पर बिठाया और सीधा सिनेमा हाल की और चले गए ....


क्या कार्तिक आज नीलू की उम्मीदों पर खरा उतर पायेगा ? क्या वो उसके साथ रोमांटिक पल स्पेंड कर पायेगा .. क्या नीलू आज खुश हो पायेगी ?

कमेंट करके बताते रहिये ||

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