google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 203

Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 203


Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 203

कार्तिक ने देखा उसका फ़ोन बज रहा है , उसने तुरंत अपना फ़ोन साइलेंट किया , उसके डैडी फ़ोन कर रहे थे , नीलू अब कार्तिक के फेस की ओर देखने लगी ...  जब फ़ोन रिंग करना बंद हुआ तो कार्तिक ने नीलू से कहा " यार बहुत लेट हो गया है , पापा भी फ़ोन करने लगे है , अब क्या बोलू ?"

नीलू ने कार्तिक का हाथ पकड़ा और बोली " यार , मैं क्या बोलू , मुझे तो लगा अब तुम रुकोगे , कोई नहीं तुम्हारी मर्जी , घर बाले भी तो परेशान हो रहे होंगे "

कार्तिक ने नीलू के हाथ पर अपना हाथ रखा और बोला " कौन नहीं चाहता की अपनी मंगेतर के साथ टाइम स्पेंड करना , लेकिन ... खैर छोडो .. अभी मुझे जाने दो ... कल आ रही हो न तुम ,,, हमने बात की थी न नायरा को मिलवाने की ||

नीलू ने मुँह फेरते हुए कहा " देखिये जी मुझे नायरा में कोई दिलचस्पी नहीं है , उम्मीद करती हूँ आपको भी नहीं होनी चाहिए , रही बात कल की तो मैं आ सकती हूँ , लेकिन आपको मेरे साथ शॉपिंग के लिए चलना पड़ेगा "

कार्तिक शांत खड़ा रह गया , कुछ देर बाद कुछ सोचने के बाद बोला " अच्छा तो ये बताओ , मैं कहाँ मिलु तुम्हे "

नीलू ने कहा " जहाँ बोलोगे मैं पहुंच जाऊगी"

कार्तिक " ठीक है , टेक केयर ... और हाँ .. कॉल और मेसेजस का जवाव दिया करो , नहीं तो हम बेचैन हो जाते है "

नीलू " और आप हमे अभी बेचैन करके जा रहे है इसका क्या ?"

कार्तिक ने कहा " हम छोड़ कर नहीं जा रहे है , बस कुछ दिन और बस फिर हम एक साथ हो जायेगे "

नीलू ने मुद कर देखा और अपने नम आँखों को पौछते हुए कार्तिक को ही देखती रही ||

कार्तिक ने फिर से नीलू से कहा " अनुमति दो "

नीलू ने कहा " न ही आप मुझे पूछ के आये थे न ही मैं जाने के लिए कह सकती हूँ "

कार्तिक ने अपना बैग लिया और खिड़की की ओर जाने लगा |

नीलू झट से उसके पास पहुंची और उसे पकड़ के किश करने लगी , कार्तिक अचम्भित रह गया ....

कुछ देर किश करने के बाद नीलू कार्तिक से दूर हो गयी और मुड़  कर कहने लगी , अगर तुम नहीं रुक सकते तो चले जाओ .. 

कार्तिक क्या करे कुछ उसके समझ नहीं आ रहा था .. जाये या रुक जाये .... कार्तिक का फ़ोन फिर से बजने लगा .. उसके पापा फिर से फ़ोन कर रहे थे .....

अब कार्तिक एक कदम आगे बढ़ा और नीलू को पीछे से पकड़ कर उसके कान के पास बोला " केबल दस दिन रुक जाओ फिर हम हर रोज एक होंगे "

नीलू ने अपने आंखे बंद कर ली और यू ही खड़ी रही ||

कुछ देर बाद , जब नीलू फिर से उस स्वप्न से बहार आयी और मुड़ कर देखा तो अब कार्तिक वहां नहीं था |

नीलू गुस्से से तमतमाती हुई अपने बिस्तर पर जा कर बैठ गयी और अपने तकिये को बार बार पटकने लगी थी |


कार्तिक लेट से अपने घर पहुंचा .. तो उसने देखा की उसके घर बाले सभी उसके घर के बहार गेट पर ही खड़े उदास चेहरा लिए खड़े थे | जैसे ही उन्हें कार्तिक के बाइक का शोर सुनाई दिया तो उनके चेहरे पर जान आयी , उन्हें आज कार्तिक के कॉल न उठाने और कोई रिप्लाई न करने पर किसी अनहोनी होने की आशंका हो रही थी | कार्तिक के पापा ने उसे घर एक मैं गेट पर ही रोक लिया और बोले " भाई तेरा फ़ोन कहाँ है ? क्या उसकी घंटी नहीं बजती क्या ?"

शीला जी ने कहा " बेटा तुमने तो हमे जिन्दा ही मुर्दा सा बना दिया है "

रिया ने कहा " भाई तुझे हुआ क्या है पूरे ढाई घंटे लेट हो और कोई न मेसेज और न ही कोई कॉल "

दादी माँ ने कहा " बेटा अगर ऑफिस में काम ज्यादा था तो एक कॉल तो कर ही सकते थे न ?"


कार्तिक ने अब अपना हेलमेट उतारा और बोला " आप लोग इतने परेशान हो जाओगे , मेने तो सोचा ही नहीं था , मेरा फ़ोन ऑफ होगया और मेरी बाइक खराब हो गयी थी इसलिए इतना लेट हो गया हूँ "


राजेश जी अब चिल्लाते हुए कहने लगे " तो हमे क्या सपने आ रहे थे की तुम बाइक ठीक करा रहे हो , उधर नीलू को भी कॉल कर रहे थे लेकिन उधर से भी कोई रेस्पॉन्स नहीं आया , अरे हम क्या करते "

कार्तिक ने अपने पापा को खुद पर कितने दिनों बाद गुस्सा होते हुए देखा था , इसलिए उसने डर से अपनी नजरे झुका ली "

दादी माँ बोली " बेटा राजेश अब इस पर गुस्सा मत करो , इसमें इसकी कोई गलती नहीं है "

कार्तिक मन ही मन खुद को कोष रहा था कम से कम एक बार कॉल कर के कोई न कोई बहाना बना देता तो ये बखेड़ा न खड़ा होता "

शीला जी उसे अब अंदर जाने के कहा और राजेश जी को भी शांत हो जाने के लिए कहा |

कार्तिक अंदर चला गया , एक एक करके उसके फॅमिली बाले भी अंदर आ गए |


कार्तिक जब अंदर गया तो उसने देखा उसके घर आज खाना नहीं खाया गया है , सभी लोग अभी तक बिना कुछ खाये उसका ही इंतजार कर रहे थे | क्युकी आज का खाना बना हुआ डाइनिंग टेबल पर ही सजा हुआ रखा है 

कार्तिक को भी अब अपने द्वारा की हुई गलती का बुरा लग रहा था , उसने जल्दी से कपड़े चेंज किये और बहार आ कर अपनी माँ और पापा को बुला कर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया |

राजेश जी अभी भी गुसा थे इसलिए बे कार्तिक से अब बात नहीं कर रहे थे ,....

फिर कार्तिक ने किसी तरह से पापा को मानाने का प्रयास किया...

फिर सब लोगो ने मिल कर खाना खाया ....


अब कार्तिक ने नीलू को कॉल किया ... और अपने घर पर हुए बखेड़े के बारे में बताया ,... इस पर नीलू ने भी गुस्सा करते हुए कहा " वैसे ये गलत था बिना बताये तुम्हे आना ही नहीं चाहिए , मैं भी तुमसे गुस्सा हूँ "


कार्तिक ने कहा " यार पापा को न कैसे कैसे मनाया है मेने , अब तुम भी वही काम कर रही हो , चलो ठीक है तुम्हे मैं कल मनाऊंगा "

नीलू ने कहा " ठीक है देखते है कैसे मनाओगे , देखती हूँ , और नहीं मना पाए तो क्या करोगे "

कार्तिक " जो तुम बोलोगी "

नीलू " पक्का न ?

कार्तिक " हाँ पक्का "

ठीक है ......



देखते है कल कार्तिक नीलू को कैसे मनाएगा , और क्या करेगा ... आप लोग भी अपना आईडिया दे सकते हो कमेंट करके ...

धन्यबाद 

Reactions

Post a Comment

0 Comments