google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Motivational Story For Students | मैं हूं लक्ष्मी

Motivational Story For Students | मैं हूं लक्ष्मी

 Motivational Story For Students | मैं हूं लक्ष्मी 

Motivating Story 


Moral Story for kids | Moral hindi Story 

रात का वक्त था , सूनसान सड़के और गलियों में अँधेरा ऊपर से मौसम तेजी से ठण्ड पकड़ रहा था , मीना घर का काम खत्म कर रही थी , तभी उसे घर एक दरवाजे पर किसी के दस्तक देने की आवाज महसूस हुई , तो वो सोचने लगी , ये तो मेरा भ्रम है , यह पहली मर्तवा नहीं है , मेरे साथ अक्सर ऐसा भ्रम होता रहता है, अब ये भ्रम ही तो है क्युकी जाने वाले कभी लौट कर नहीं आते | आती है तो सिर्फ उनकी यादें | ऐसा सोचते हुए वो बापस कमरे में पहुंची जहाँ पर उसके बेटा और बेटी दोनों सो रहे थे | छोटा सा घर था एक कमरा और छोटा सा बरामदा | ठंडी हवाएं चल रही थी , जिसकी बजह से ठण्ड अचानक से बढ़ गयी थी | 


तभी उसे याद आया की आज भी उसने रजाई तो सुखाई नहीं है , लगता है आज की शरदभरी रात केबल चादर में ही गुजारनी पड़ेगी , चलो चादर ही सही , उसने आधी चादर बेटा और बेटी को उढ़ा दी और आधी खुद के ऊपर डाली ही थी की फिर से दरबाजा खटखटाने की आवाज आयी | उसका ह्रदय तेजी से धड़कने लगा , आखिर इतनी रात गए कौन होगा ? कोई जंगली जानबर तो नहीं |


तब तक फिर से अबाज आयी | इस बार वो उठी और उठ के आवाज लगाई कौन है ? कौन है वहां ?


 मै हूँ - दरवाजे के बहार से आवाज आई !!


कौन मै कहते हुए मीना ने दरवाजा खोला और फिर से हिचकिचाते हुए पूछा " जी आप कौन ? " 

  " जी बहन मै लक्ष्मी " एक मैले और फटे हुए कपडे पहने , बगल में एक थैला , और हाथ में लाठी लिए एक महिला सामने खड़ी थी |


" जी मैने पहचाना नहीं " मीना ने आश्चर्य करते हुए पूछा 

" हाँ आज कल मैं किसी को पहिचान में आ नहीं रही हूँ | " उस बूढी औरत ने उदास चेहरे से कहा 

" मै कुछ समझी नहीं आप क्या कहना चाहती हो ? " मीना ने बिनम्रता से कहा 

" बहन , कहना तो कुछ नहीं बस एक रात गुजारने की गुजारिश कर रही हूँ " उस औरत ने हाथ जोड़े ||


" अरे अरे , अंदर आ जाइये " कहते हुए एक टूटी सी चारपाई जो हमेशा एक कोने में खड़ी रहती थी |

मीना ने उसे साइड में बिछाया फिर लक्ष्मी को बैठने के लिए कहा | 


मीना के घर में ज्यादा कपड़े तो थे नहीं लेकिन एक पुरानी, उसके पति के समय की दरी थी, उसे बिछते हुए पूछा " आप कौन है ? बच्चे नहीं है आपके ? " 

लक्ष्मी ने एक लम्बी सी साँस ली और कहा " हाँ है न , समृद्दि नाम की बेटी है वैभव नाम का बेटा "

" क्या करते है आपके बच्चे ? " मीना का अगला प्रश्न था 

" वो ... बेटा समाज सेवा करता है |" 

" कैसी सेवा बड़ी उत्सुकता से मीना ने पूछा ?

" वो बूढ़े माँ बाप को घर में रहने का अधिकार और बृद्धाश्रम की समाज सेवा करता है " उस महिला ने नज़ारे झुकाते हुए उत्तर दिया !! 

लक्ष्मी की झुकी नजरे और वेबस चेहरा सब कुछ वयान कर रहा था ||

मीना को समझते देर न लगी की घर का दीपक भले ही चारो ओर रोशनी फैलता होगा पर अपने पैरो तले हमेशा अँधेरा ही रखता है |




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