हिंदी कहानी कुसुम - एक अनसुलझी पहेली - भाग - 26 | Hindi kahani Kusum ek ansuljhi paheli - part 26

 

कुसुम - एक अनसुलझी पहेली - भाग - 26 | Hindi kahani Kusum ek ansuljhi paheli - part 26



हिंदी कहानी में अब तक आपने पढ़ा , कुसुम की भाभी को अंजली ने कुसुम के कहने पर सब कुछ बता दिया , सब कुछ जान सुन कर सुनीता के चेहरे का रंग उड़ चुका था , अब वो निःशव्द हो गयी थी |

अब आगे --


अंजली के मुँह से ये बात सुन कर मानों सुनीता को तो चक्कर आते आते रह गया , सुनीता अपने सर पर हाथ रख कर बैठी रही , कुछ देर के लिए कमरे में तीन लोग होने के बाबजूद भी सन्नाटा सा पसरा रहा , कुसुम अब किसी से भी नजरे नहीं मिला पा रही थी , वो बहुत ज्यादा शर्मिंदा हो रही थी , उसे ऐसा लग रहा था की उसने न जाने कितना बड़ा गुनाह करके अब सबके सामने कुबूल कर लिया है , उसकी आँखों से लगातार आंसू गिरे जा रहे थे , वो खुद को संभाल नहीं पा रही थी , अब अंजली ने देखा की कुसुम की हालात ख़राब होती चली जा रही है तो उसने कुसुम के हाथ पर हाथ रखा तो कुसुम ने उसकी और देखा , अंजली ने उसे इशारा करके शांत रहने के लिए कहा |


थोड़ी देर बाद , सुनीता ने कड़क आवाज में पूछा "ये बात रोहित को या उसके घर वालो को पता है या नहीं "

सुनीता बोल के चुप हो गयी और कुसुम से उसके जवाव का इंतजार करने लगी , लेकिन कुसुम सिर्फ बिस्तर की चादर पकड़े हुए रोये जा रही थी |


सुनीता ने एक बार फिर अंजली और कुसुम की और घूरते हुए पूछा "मैं कुछ पूछ रही हूँ "

थोड़ा सा हिचकिचाते हुए अंजली ने कहा "हाँ भाभी जी , कुसुम बोल रही थी की उसने रोहित को बता तो दिया है लेकिन "

"क्या लेकिन " सुनीता ने फिर से दुहराया 

अंजली ने बताया "उसे कोई ज्यादा फ़िक्र नहीं हो रही , उसने तो बस हॉस्पिटल जाने को कह दिया है "


अंजली की बात सुनकर सुनीता जो की पहले से गुस्से से लाल हुई बैठी थी , और भी गुस्से में आ गयी और बोली "उसे ये नहीं बताया की जब मजे ले रहा था तब हॉस्पिटल की याद नहीं आयी थी , तब तो क्यों इतना बेशर्म बन कर सारी हदे पार करदी थी , अब हॉस्पिटल याद आ रहा है , मुझे तो पहले से ही लग रहा था होना यही था " 



लगातार भाभी को आग उगलते देखा कुसुम ने अपनी आंखे बंद करली और मन ही मन कहने लगी , भगवन के लिए भाभी जी प्लीज रुक जाइये मत बोलिये इतना कुछ ||


अंजली ने फिर से हिचकिचाते हुए कहा "भाभी जी उसका मतलब ये था की पहले चेक करवाओ की सब कुछ ठीक है या नहीं इसलिए हॉस्पिटल के लिए कह रहा था "


"सब कुछ तो बिगड़ देने के बाद अब क्या हॉस्पिटल से चेक करवाना है " सुनीता ने बोला 

"अब क्या करना है आगे कुछ सोचा है तुमने " सुनीता फिर से एक सवाल रुपी गोला दागा कुसुम की ओर


कुसुम ने बड़ी ही हिम्मत करके एक नजर भाभी जी की और देखा और फिर से निचे की और देखने लगी 

सुनीता जी फिर से रोने जैसी आवाज में कहने लगी "हम तो पहले से ही भोलू बाली बात से परेशान थे ही , अब इस बात को कैसे इसके भैया को बताऊगी , वो तो शायद सुन भी न पाएंगे , कही कोई ऊंच नींच न करले "

मेरी तो जिंदगी ही बर्बाद हो जाएगी ||


"कैसी बातें कर रही हो भाभी जी , हम ही नहीं रहेंगे , भगवान उठालो हमे " तेज आवाज में रोते हुए कुसुम ने कहा 

सुनीता थोड़ी देर के लिए शांत हो गयी और फिर बोली "तो बताओ क्या बतायेगे हम मोहल्ले बालों को क्यों मर गयी हमारी ननद"

अंजली दोनों को शांत करते हुए बोली "देखो भाभी जी आप तो समझदार है , आप इस सब से अच्छी तरह से बाक़िफ़ है , और आप ये भी जानती है की कुसुम का कोई दोष नहीं है , परिस्थिति के हिसाब से उससे ये सब हो गया , आप भी आखिर इस उम्र से गुजरी हो , जाने अनजाने में अब जो हो गया उसे सही करने की एक कामयाब कोशिश तो कर सकते है न  "


सुनीता ने थोड़ी देर ठन्डे दिमाग से सोचना सही समझा और उसे अंजली की बात में दम लगा | उसने खुद को शांत ही रखना सही समझा , और माहौल को ज्यादा गर्म न करना चाहा |


रोहित के पापा(सुरेश बाबू ) की तबियत में सुधार हो रहा था , उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने वाली थी , उनसे मिलने आने वालो की भीड़ लगी रहती थी , इस बजह से उन्होंने अस्पताल से छुट्टी करवा कर घर जाना ही सही लग रहा था , वैसे भी बहुत दिनों से हॉस्पिटल के बेड पर उन्हें एक पल भी रुकना नर्क जैसा महसूस हो रहा था |

 और साथ पंचायत के चुनाव भी आ रहे थे , कुछ लोग जो की सुरेश बाबू के बहुत ही करीबी थे वो सुरेश बाबू को पंचायत चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर देख रहे थे , चुनाव अभी बहुत ज्यादा दूर नहीं था , इसलिए वो सब इसकी तयारी के लिए सुरेश बाबू से परमिशन लेना चाह रहे थे | 


सुरेश बाबू ने रजनी (रोहित की माँ ) से पूछा "ये लड़का कहाँ है , और मुझे यहां से कब निकाल के ले जाओगे , मिलने वालो ने तो मेरी नाम में दम करके रखा है , मुझे यहाँ एक पल भी भरी पड़ रहा है "


रजनी ने इधर उधर देखते हुए कहा "कल शाम से कही गया हुआ था , अभी आया है , भेजती हूँ , डॉक्टर से बात करेगा "

सुरेश बाबू ने कहा "हाँ भाई जल्दी करवाओ , मुझे यहां बहुत बेचैनी हो रही है "

रजनी ने उनकी चादर सही की और बाहर जाने लगी , 


बाहर अभी भी रोहित और नीलम दोनों आपस में लगभग झगड़ने जैसे आवाज में बातें कर रहे थे |

रजनी को ज्यादा कुछ तो नहीं लेकिन नीलम को कहते हुए सुनाई दिया की भाई तू न घर में किसी की जान ले के ही दम लेगा |


रजनी जल्दी से वहाँ पहुंची और दोनों के बीच झगड़े का कारण जानने की कोशिश करने लगी |

लेकिन दोनों एक दम चुप हो गई किसी ने कुछ नहीं बताया ||


किसी के कुछ नहीं बताने से रजनी जी को थोड़ा सा गुस्सा आ गया उन्होंने रोहित को डाँटते हुए कहा "जाओ जा कर अपने पापा से मिलो कबसे बुला रहे है , साहब का पता ही नहीं है कब से "

रोहित ने गुस्से से अपनी बहन की ओर देखा और अंदर बार्ड में चला गया |


रजनी ने फिर से नीलम से पूरी बात जानने की कोशिस की लेकिन उसने कुछ भी नहीं बताया ||


रोहित ने डॉक्टर से बात की तो डॉक्टर ने सब कुछ सही बताया और कहा अब आप अपने पापा को यहां से ले जा सकते हो 

रोहित ने जल्दी से सारी फॉरमैलिटीज की ओर फिर पापा को घर ले जाने लगा 



जब कुसुम का भाई अपने काम से घर बापस आया तो उसने सुनीता और कुसुम के चेहरे पर अजीव सा डर देखा तो उसने सुनीता से पूछा "क्या हुआ क्या बात है तुम दोनों इतने चिंतित क्यों दिख रहे हो "

सुनीता ने बात बनाते हुए कहा "नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है , बस हम तो ऐसे ही बातें कर रहे थे "

संदीप ने मन  में कहा जरूर कोई तो बात है जो ये यहां नहीं बताना चाह रही है चलो बाद में पता करुगा |

"चलो आप अपने हाथ मुँह धूल लो मैं खाना लगती हूँ " सुनीता ने कहा 

"हाँ ठीक है ले आओ " संदीप ने भी अपना सामान अलमारी में रखते हुए कहा 

खाना खाते खाते सन्दीप ने बताया की रोहित के पापा अब ठीक हो गए है और घर चले गये है , कल या फिर परसो उनसे मिलना जाना होगा , साथ ही बात भी करके आजाऊंगा


सुनीता ने बड़ी ही गंभीरता से कहा "हाँ , परसो नहीं कल ही , जितना जल्दी हो सके , आप बात करके आओ , और शादी करके जल्दी से अपना भर कम ही करदो"

संदीप अपने मुँह में निवाला लेते लेते रुक गया "क्या कहा तुमने भर , ऐसा तो तुमने पहले कभी नहीं बोला आज कैसे बोल दिया , मेरी बहन मुझ पर बोझ है ??"

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सुनीता ने कहा "और नहीं तो क्या , सयानी लड़की घर पर बोझा ही होता है "

संदीप को आज सुनीता की बातें कांटे की तरह चुभ रही थी , उसने उसके मुँह से कुसुम के लिए शादी से लेकर आज तक कभी नहीं ऐसा नहीं सुना था , बल्कि बो तो कुसुम को अपनी बहन की तरह ही प्यार करती थी , अचानक ये सब कैसे ??

संदीप ने पूछा "तुम्हे कुछ हुआ है क्या , ऐसे कैसे बात कर रही हो "

 सुनीता ने फिर से कहा "देखो मुझे कुछ नहीं हुआ है , मेरी बात का यकीन करो , और शादी जल्दी से करवाओ बरना मुस्किले बढ़ जाएगी "

संदीप ने पूछा "कैसी मुस्किले ??"

अब सुनीता उसे ज्यादा  कुछ नहीं बताना चाहती थी इसलिए उसने बात करते हुए कहा "देखो रोहित तुम्हारी बहन के साथ रात बिता कर गया है और इस बात को दो महीने भी हो चुके है इसलिए अच्छा होगा जल्दी से शादी हो जाये "

 सुनीता की बात सुनते ही संदीप के शरीर में करंट सा लगा गया वो गुस्से से आग बबूला हो गया , उसने सुनीता पर अपना हाथ लगभग छोड़ ही दिया था , लेकिन किसी तरह खुद को रोक पाया , फिर उसने अपने सामने से खाने की थाली उठा के अगन में फेक दी ||

थाली फेकने की आवाज सुन कर कुसुम अपने कमरे से बाहर आ गयी , लेकिन उसने अपने भाई का सामना करना सही नहीं समझा क्युकी उसे लगा भाभी ने सब कुछ भाई को बता दिया है , 

वो अंदर से थर थर कांपने लगी थी 




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