google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Hindi kahaniyan New |हिंदी कहानी कुसुम - एक अनसुलझी पहेली - भाग - 27 | Hindi kahani Kusum ek ansuljhi paheli - part 27

Hindi kahaniyan New |हिंदी कहानी कुसुम - एक अनसुलझी पहेली - भाग - 27 | Hindi kahani Kusum ek ansuljhi paheli - part 27

कुसुम - एक अनसुलझी पहेली - भाग - 27 | Hindi kahani Kusum ek ansuljhi paheli - part 27


हिंदी कहानी कुसुम 

   

   कुसुम अंदर कमरे में खड़ी खड़ी डर से कांप रही थी , उसी भय था की उसका भैया बहुत गुस्से वाला था , कही गुस्से में आ कर खुद को कोई नुकसान न पंहुचा ले | कही खुद को कुछ कर लिया तो गांव मुहल्ले बाले तो उसका जीना ही हराम कर देंगे , एक छोटी बात जो भोलू को लेकर उड़ा दी थी उसकी बजह से तो उसका निकलना उठाना बैठना बंद करा दिया गया था |

तभी उसके भाई ने आवाज लगाते हुए कुसुम को पुकारा , आवाज सुन कर तो मानों कुसुम के देह से जान ही निकल गयी , उसी लगा की आज भाभी ने भैया को सब कुछ बता दिया , और बो आज न जाने मेरे साथ क्या ही कर डालेंगे |

अब कुसुम डरते हुए कंपते हुए शरीर के साथ भैया के सामने पहुंची , और सर झुकाये खड़ी हो गयी , अब अपने भाई और भाभी से कुसुम नजरे नहीं मिला पा रही थी , उसी शर्म आ रही थी की न जाने भाई क्या ही सोच रहा होगा मेरे बारे में |

भैया ने कुसुम की और देखते हुए पूछा "अब तुम्हे क्या हुआ है , क्यों अपना मुँह लटकाये खड़ी हो , जाओ जा के मेरे लिए पानी ले कर आओ "

"ठीक है सर हिलती हुई कुसुम किचन की और चली गयी " जाते जाते कुसुम ने सोचा इसका मतलब भैया जी को कुछ पता नहीं चला , बरना मुझसे ये ही क्यों पूछते की तुम्हे क्या हुआ , मुँह लटकए क्यों ही खड़ी हो ??

अब कुसुम की सांसे ठीक चलने लगी थी , सुकर है भगवान का भाभी ने अभी तक तो कुछ नहीं बताया है ||

कुसुम भाई के लिए किचन से पानी ले कर आयी और उसने भाई के हाथ में दिया ,

और फिर बढ़ी ही धीमी सी आवाज में पूछा "क्या हुआ भाई , सब ठीक तो है न " और भाभी की और देखने लगी 

संदीप ने पानी के एक दो घूट पीने के बाद कहा "कुछ नहीं तुम जाओ अपने कमरे में जा कर पढ़ो "

कुसुम ने जाने से पहले आशावादी निगाहो से भाभी की और देखा और फिर वहाँ से चली गयी |

सुनीता अभी भी हक्की बक्की कमरे के गेट से टिकी हुयी खड़ी थी , अब उसी कुछ समझ नहीं आ रहा था , उसी अब एहसास हो रहा था की आज उसने अपने  हस्बैंड को डिसपॉन्टेड किया है , उसी आज उनके साथ इस तरीके से बात नहीं करनी चाहिए थी , आखिर संदीप को थोड़े न पता है इस सब के बारे में .....

ये मेरी गलती है मुझे माफ़ी मांगनी चाहिए उनसे , सोचते हुए अब सुनीता बेड के उस तरफ पड़ी खाने की थाली को उठाने लगी |

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थोड़ी देर बाद सुनीता दुवारा से थाली को खाने से सजा कर लायी और बिस्तर पर लेते संदीप के पैरो की और बैठते हुए बोली , मुझे माफ़ करदो मुझसे गलती हो गयी , मुझे ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी , प्लीज खाना तो पेट भर के खालो , अपनी थाली फेक दी थी |

संदीप ने एक नजर सुनीता की और देखा और फिर आंखे बंद करली 

इस बार सुनीता ने फिर एक कोशिश करके देखी , लेकिन संदीप की नाराजगी कुछ ज्यादा ही थी , उसने फिर से कोई रेस्पॉन्स नहीं किया ||

अब सुनीता की आंखे सजल हो उठी , उसने अपने पल्लू से अपनी आंखे साफ की और बैठी रही काफी देर |


देर रात को संदीप की आंख खुली तो उसने देखा की खाने की थाली बेड पास राखी टेबल पर यू ही रखी है , और फिर उसने सुनीता की और देखा तो सुनीता भी उसी जगह बैठी बैठी सो गयी थी , उसने ढंग से चादर भी नहीं ओढ़ी हुयी थी |

ये देख कर संदीप को सब समझा आ चुका था की सुनीता ने खाना नहीं खाया है और ऐसे ही सो गयी है |


अब संदीप भी सोचने लगा न जाने क्यों सुनीता आज उसके साथ ऐसे पेश क्यों आयी थी , जबकि शादी से लेकर आज तक उसने संदीप से कभी भी जिद भरी कोई बात तक नहीं की थी , वो एक सुशील और अच्छे खानदान से ताल्लुक रखती थी , मगर आज उसी ऐसा क्या हुआ की उसने मेरे साथ ऐसे बात की वो भी मेरी बहन को लेकर , जबकि वो भी जानती है की मेरी बहन कितनी मासूम और सीधी लड़की है , उसी लेकर मोहल्ले में जो अफवाह उड़ाई गयी थी उसके बारे में भी मैंने अच्छे से तहकीकात करली है , भोलू और कुसुम में कोई ऐसा दूर दूर तक संबंध नहीं है , तब भी सुनीता के सुर चढ़े हुए क्यों थे ?


हो सकता है वो थकी हुई होगी ,  या फिर किसी और बात को लेकर परेशान होगी , आखिर उसके लिए भी तो किनी टेंशन है , एक तो उसके परिबार बाले परेशान है वो उन्हें देखने भी नहीं जा पा रही है , और उस सबसे भी ज्यादा परेशानी की बात तो उसके लिए ये है की शादी के आज लगभग ६ साल होने को है , वो माँ भी नहीं बन सकी है , क्या उसी इस बात का बुरा नहीं लगता होगा , 

अब सरिता को ही देख लो इसकी छोटी बहन है इसकी शादी के ३ साल बाद शादी हुई थी , उसके खूबसूरत बेटी है , और सुना है दुवारा भी उम्मीद से है |


अब संदीप ने सुनीता की तरफ प्यार से देखा और उसी भूखा सोते देखा उससे रहा नहीं गया , उसी याद आ रहा था की शादी के बाद से ये पहला ऐसा मौका है जब सुनीता उससे बिना बात किए और भूखी सोई हो |

उसने अपनी ऊपर से चादर हटाई और सुनीता के पास जा कर लेट गया , अब संदीप सुनीता को प्यार भी करना चाहता था और साथ ही उसे जगा कर खाना भी खिलाना चाहता था 

संदीप ने सुनीता के माथे पर हाथ रखा तो उसे महसूस हुआ की उसका माथा गर्म है , 

"इसे तो बुखार है " संदीप ने अपने आप से कहा 

फिर संदीप ने तुरंत ही उसके कंधे के पास छू कर देखा तो कन्फर्म हुआ की उसे हल्का ही सही लेकिन बुखार है 


संदीप ने सुनीता की बाजू पकड़ के हिलाते हुए उसे पुकारा , सुनीता , सुनीता , चलो उठो , तुम्हे बुखार है , खाना खाओ फिर मैं तुम्हे मेडिसिन देता हूँ |

बाजू पकड़ के हिलाने की बजह से सुनीता की नींद टूट गयी , संदीप की पकड़ मजबूत थी इसलिए उसकी बाजू में इसने दर्द महसूस किया , उसने अपनी बाजू पकड़ के कराहते हुए खुद को संभाला और संदीप की मदद से वो बिस्तर पर बैठ गयी |

अब संदीप उसे देख रहा था , फिर थोड़ी देर बाद उसने पूछा "तुमने खाना क्यों नहीं खाया , थाली ऐसे ही टेबल पर पड़ी हुयी है "

सुनीता थोड़ी देर चुप रही फिर बोली "अपने भी तो नहीं खाया तो मैंने भी नहीं खाया "

संदीप ने उसका हाथ पकड़ा और कहा "देखो तुम्हे कितना जोर से फीवर है "

सुनीता ने कहा "हाँ पूरा बदन दर्द कर रहा है "

संदीप ने उठ कर उसे खाने की थाली दी और कहा "चलो खाओ फिर मेडिसिन खाना "

सुनीता ने संदीप की और देखा और कहा "मुझे माफ़ करदो , मुझे गलती हो गयी थी , मैं फ्रस्टेशन में थी , समझ नहीं  आ रहा परेशानिया कम होने का नाम नहीं ले रही है इसलिए "

संदीप ने सुनीता के करीब आ कर उसके माथे को चूमते हुए कहा "मुझे पता है , मैं समझ गया , तुम क्यों परेशान हो ?? , चलो छोडो खाना खोए , लेकिन आगे से मुझसे ऐसे बात मत करना , मैं कुसुम के खिलाफ एक शव्द भी नहीं सुन सकता हूँ "

संदीप की बात सुन कर सुनीता सोचने लगी "अब मैं आपको क्या ही बताऊ ,जैसे तैसे सब कुछ ठीक हो रहा है , अगर कुछ बताया तो इन्हे फिर से टेंशन हो जाएगी , और इन्हे बताना भी अभी ठीक नहीं रहेगा "

अब सुनीता ने सिर्फ हम्म कह कर अपना सर हिलाया |

संदीप ने खाना खाने के लिए फिर से कहा 

अब सुनीता और  संदीप दोनों खाना खाने लगे थे , 

खाने का निवाला लेते हुए संदीप ने कहा खाना अब टेस्टी नहीं लग रहा है क्युकी ठंडा हो चुका है 

सुनीता ने कहा "लाओ तो गर्म करके लाती हूँ  "

संदीप ने मना करते हुए कहा "नहीं नहीं रहने ही दो , अब किचन में काम करोगी तो कुसुम जाग जाएगी , सोचेगी पता नहीं क्या कर रहे है दोनों "

सुनीता थोड़ी मुस्करायी और बोली "क्या सोचेगी , कुछ गलत थोड़े कर रहे है , और करेंगे  भी तो क्या हुआ हम पति पत्नी है "

इस पर संदीप ने इस पर कहा "पति पत्नी है तो क्या इसका मतलब किसी के सामने ?? हम्म "

 अब सुनीता ने मुस्कराते हुए खाने पर ध्यान दिया और खाना निपटाने लगी ||

खाना खाने के बाद , संदीप ने अपने बैग से निकाल कर बुखार की मेडिसिन दी , और कहा लो इसे खा लो जल्दी से आराम हो जायेगा ||

सुनीता ने मेडिसिन लेने के बाद चादर ओढ़ते हुए , संदीप की और सरारत भरी निगाहो से देखा , और मुस्कराने लगी |

संदीप भी मुस्कराया और फिर दोनों एक ही चादर में घुस गए |

सुनीता ने संदीप की बाजू अपने सर के नीचे रखते हुए कहा "थोड़ी देर ऐसे लेटने दो न मुझे अच्छा लगेगा "

संदीप ने भी कुछ नहीं कहा और उसके इधर उधर बिखरे बालो को संभालने लगा , ऐसे करते देख सुनीता ने अपनी आंखे बंद कर ली |

थोड़ी देर शांत रहने के बाद , सुनीता बहुत ही गंभीर स्वर में बोली "आपको पता है सरिता फिर से प्रेग्नेंट है " 

संदीप ने एक लम्बी साँस ली और कहा "हम्म मुझे पता चल गया है "

सुनीता ने पूछा "तुम्हे किसने बताया "

संदीप ने जवाव दिया "मेने कॉल किया था तो उसने बताया था की बो आज रुटीन चेकअप के लिए डॉक्टर के पास आई है , मैं तभी समझ गया था "

संदीप ने अपनी बात ख़त्म की और कमरे में दो लोगो के होते हुए भी सन्नाटा सा छा गया , दोनों एक गहरी शांति में खो गए थे ,

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कुछ पल शांत रहने के बाद , सुनीता ने कहा "हमने किस का क्या बिगाड़ा है जो भगवान हमारे घर में एक ख़ुशी बर्दास्त नहीं कर पा रहा है , बताओ कितने प्रयासों के बाद भी मैं माँ नहीं बन पा रही हूँ "

संदीप ने सुनीता को दिलासा दिलाते हुए सुनीता के होठो को चूमते हुए कहा "सब्र  रखो भगवान सबकी सुनते है "

अब सुनीता ने आंखे बंद करली थी , और संदीप ने उसे लगातार चूमना शुरू कर दिया था , सुनीता शांत लेती हुयी थी |

अचानक से सुनीता के मुँह से "आउच" की आवाज निकल गयी , 

संदीप ने इशारे में पूछा "क्या हुआ ??"

सुनीता दर्द से बोली "वहां जहाँ तुमने छुआ तो मुझे दर्द हुआ इसलिए "

"ओह अच्छा " कहते हुए संदीप ने दुवारा वहां छुआ , इस बार सुनीता की आवाज बहुत धीरे से आयी |

संदीप के बार बार छुए जाने से सुनीता सेंसेटिव पार्ट काम करने लगे थे , सुनीता ने संदीप को अपनी बाहो में भर लिया और उसके चुंबनों का जवाव देने लगी |

चुंबन करते करते दोनों आपस में इतने खो गए की उन्हें आस पास का कुछ भी ध्यान नहीं रहा , उन्हें ये भी याद नहीं रहा की जस्ट बगल बाले रूम में ही कुसुम सोई हुयी है , कही किसी तरह की कोई आवाज सुनकर वो जग न जाये |

और ऐसा ही हुआ , कमरे से आ रही मादक आवाजे इतने तेज थी की कुसुम के रूम तक आसानी से जा सकती थी , कुसुम बैसे भी डरी सहमी सी सो रही थी सो हलकी सी आवाज जाते ही वो जग गयी थी | उसे ये आवाजे अजीव तो नहीं लगी थी क्युकी वो इन आवाजों से परिचित थी ,, अक्सर वो ये आवाजे अपने कमरे में लेटी लेटी सुन लिया करती थी |

कुसुम की आंख खुल गयी थी तो उसे अब बाथरूम जाना था , क्युकी अब उससे बर्दास्त नहीं हो रहा था , बाथरूम जाने का रास्ता उसी कमरे के सामने से होता हुआ जाता था , जब कुसुम वहां से गुजरी तो उसने न चाहते हुए भी खुले हुए दरवाजे की और देखा , और देखती ही रह गयी | उसने अपने भाई और भाभी को इससे पहले इतनी compromising position में कभी नहीं देखा था , वो जल्दी से वहां से बाथरूम में चली गयी , साथ ही सोचने लगी , भाई ओर भाभी इतने बोल्ड कबसे हो गए की ये दोनों इस तरह की पोजीशन इस्तेमाल करने लगे है | खैर जाने दे तू अपने काम पे ध्यान दे |


अब कुसुम को थोड़ा सा सुकून भरा लग रहा था क्युकी जब बो सोई थी उसके भाई और भाभी में झगड़ा था और आंख खुली तो दोनों एक थे , ये जान कर उसे ख़ुशी हो रही थी |

जब वो वापस जा रही तो 










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