google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Suprabhat Suvichar - सुप्रभात सुविचार | Suvichar in hindi - सुविचार इन हिंदी | सतगुरु की महत्ता

Suprabhat Suvichar - सुप्रभात सुविचार | Suvichar in hindi - सुविचार इन हिंदी | सतगुरु की महत्ता

 
Suprabhat Suvichar - सुप्रभात सुविचार | Suvichar in hindi - सुविचार इन हिंदी | सतगुरु की महत्ता  
विषय : "सतगुरु की महत्ता"

Suprabhat Suvichar/ google image


यह भी पढ़े : कर्मो के परिणाम - सुप्रभात सुविचार >>

यह भी पढ़े : सुप्रभात सुविचार - अनुभव >>>

साध संगत जी, यह तो सत्य है कि माता-पिता के द्वारा जन्म पाकर दुनिया मे आने का मौका हर इंसान को मिलता है। अतः ये दोनों हमारे जन्म दाता है इनकी यह उपकार का कर्ज, कई जन्मो को लेने के बाद भी चुकाया जा नही सकते। 

       उसके बाद, बाल्य काल से लेकर पूरा जीवन, सतगुरु के सहारे एक एक कदम आगे बढ़ाते है। हमारे जीवन रूपी नैया को गुरु ही पाल और पतवार बन कर पार लगाता है। शिक्षा दीक्षा के साथ-साथ पारिवारिक जीवन मे भी गुरु का महत्व सर्वपरिये है। मांश हार का बना यह शरीर जिसमे आत्मा का वास है, इससे जानने के लिये गुरु ही सहायक होता है। पूरे सृष्टि का, व सम्पूर्ण ब्रह्मांड के रचयिता और उसका भेद का जांनहार गुरु ही होता है।


       साध संगत जी, भेद के जांनहार, गुप्त रहने वाला, जो तमाम जीवधारी, व वनस्पति तथा  धरती पे जो भी नजर आ रहा है इन सब का मालिक, जो एक ही है और उसे आध्यत्म भाषा के अनुसार, तथा वेद-शास्त्र, पौराणिक ग्रंतो इत्यादि इन सबो ने , उस जांनहार को सतगुरु कहते है, सतगुरु निरंकार पार ब्रह्म परमात्मा का साकार रूप होता है।


       साध संगत जी, सृष्टि में जब भी कोई जन्म लेता है। उस जन्म में इन्ही की कृपा होती है। इनके शरण मे किस को आना है, नही आना है, किस को इनकी कृपा हो, यह सब गतिविधि सतगुरु के आदेश से होता है। बाहर से कुछ भी नजर अथवा समझ में नही आयेगा। जब तक इनका अनुभोति न हो जाये तब तक अंधेरे में ही रहना पड़ता है। इंसानों में अनुभोति करना भी इन्ही की मर्जी से होता।


      साध संगत जी, अब बातये, सतगुरु की महत्ता किस तरह और कैसे तौले। हुजूर सतगुरु ही भूत वर्तमान, और भविष्य है इनका कोई ओर छोड़, आधी अंत नही है। यह तो कृपा है इस निरंकार प्रभु परमात्मा का की अपना साकार रूप सतगुरु में समाहित हो कर सहज भाव मे, उन्ही के द्वारा हमे ज्ञात हो जाता है कि यह ब्रह्म है नही तो अंधेरे में थे पूरा जीवन अंधेरे में ही गुजर जाता। इसकी कृपा का शब्द कम पर जाएंगे लिखने में। किसी सन्त ने कहा है। कि "धरती को कागज करू, कलम करू बन राये, सागर को मसी  (सिहाई) करू तब भी गुरु गुण लिखा न जाये।"

यह भी पढ़े : कर्मो के परिणाम - सुप्रभात सुविचार >>

यह भी पढ़े : सुप्रभात सुविचार - अनुभव >>>

      साध संगत जी, सतगुरु की महिमा अनन्त है। इनसे जुड़े रहने का तरीका एक मात्र साध संगत है, इनके साथ साथ, इनके ही साथ रहकर सेवा सुमिरण और सत्संगह, निस्वार्थ भाव से भागीदार बने।

 

यह भी जाने : एयरप्यूरीफायर क्या है ? इससे दमे और साँस से संबंधित बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है


Suprabhat Suvichar - सुप्रभात सुविचार | Suvichar in hindi - सुविचार इन हिंदी   

विषय :     "सन्त स्वभाव"


     हे सन्त महापुरषो जी अति सुन्दर और सत्य से जुड़ा हुआ इस विषय को चुनकर शीर्षक के रूप इसे रखा है। इस तरह के भाव जब उतपन होता तो कहते "नब्ज मरीज का वैद ने सही पकड़ा है"


      साध संगत जी, समय का सतगुरु माता सुदीक्षा सविन्दर हरदेव जी महाराज की यही प्रयत्न है कि "सन्त का स्वभाव" कैसा हो। तो हुजूर कहती है कि एक सन्त का स्वभाव सरल, सहज, शान्त और सहनशील होना चाहिए। क्योकि सतगुरु की कृपा से उसे ब्रह्म की प्राप्ति हो चुका है। उसी तरह जिस तरह फलदार बृक्ष, जैसे डालियां में फल लगते ही सब झुक जाता है। उसी तरह ब्रह्मज्ञानी होते है जैसे सत्य और असत्य की बोध होते ही उनका जीवन स्वभाव सरल, सहज सहनशील में परिवर्तन हो जाता है। 


      इस संदर्भ में हुजूर बाबा जी कहते है कि 


गुरु के सेवक को न होती यश की भी अभिलाषा है।

कहे 'हरदेव' कभी न मन मे फल की रखता आशा है।


गुरु का सेवक सेवा से न आँख चुराया करता है।

गुरु का सेवक सेवा में जी जान लगाया करता है।


      साध संगत जी, इस संदर्भ में हुजूर शहंशाह जी ने अपने विचार कहा है कि


      पल पल गुरु सहायक होता जो सतगुरु का धरता ध्यान।

      कहे 'अवतार' कि ऐसा सेवक लाखो का करता कल्याण।


      साध संगत जी, सतगुरु की बड़ी कृपा है जिन्हों ने जीवन को बदल डाला और सहज सरल और सहनशीलता की पाठ पढ़ाया और गुरुमत में जीना सिखाया है। हुजूर  दास तो आज तक यही सीखा है।


      प्यार से कहना जी

        🙏🏻धन निरंकार जी🙏🏻


यह भी जाने : एयरप्यूरीफायर क्या है ? इससे दमे और साँस से संबंधित बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है





         

Reactions

Post a Comment

0 Comments