Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 106
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कार्तिक नीलू एक साथ बिलकुल पास में झरने के सामने दूधिये सफ़ेद पानी की गिरती धारा को शांतिमग्न हो कर लगातार देख रहे थे | नीलू कार्तिक के कंधे पर अपना सर रखे हुए थी , कार्तिक उसे पीछे से कंधे पर हाथ रख कर उसे अपने होने का अहसास दिला रहा था | हालाँकि उनके इर्दगिर्द बहुत सारे कपल्स बैठे थे कुछ खड़े थे कुछ फोटे खींचने के लिए पोज़ बना रहे थे | ऐसा लग रहा था की प्रकृति ने ये स्थान ख़ास प्रेमी प्रेमिकाओ के लिए दुनियादारी से इतर एक निश्चिन्त और निर्भय प्रेम के लिए एक बरदान के रूम में प्रदान किया हो |
वहां प्रेम के अलावा और कुछ निहित नहीं था , जिधर भी नजर जा रही थी , हरे भरे प्राकृतिक मनोरम दृश्य के अलावा और कुछ दिखाई ही नहीं देता था |
कार्तिक की उंगलियां लगातार नीलू के हाथ की उंगलियों के साथ उठखेलयाँ कर रही थी , नीलू को कार्तिक के कंधे पर सर रख कर बैठना एक सपना सच होने जैसा लग रहा था , मन में सोच रही थी की कुछ दिन पहले ही तो पायल ने एक फिल्म में ऐसा ख़ास सीन दिखाया था और कहा था "ऐसी जगह और ऐसा रोमांटिक माहौल सिर्फ फिल्मो या फिर इक्तिफाक से ही हो सकता है , लेकिन जो भी कपल्स इस आनंदित पलो को जीते है वो शायद ऊपर बाले से स्पेशल परमिशन ले कर आते होंगे " सोच सोच के नीलू गदगद हो रही थी |
नीलू को शांत और चुप देख कर कार्तिक ने उसे छेड़ते हुए पूछा "क्या हुआ , अब तुम्हारा बचपना कहाँ चला गया ये रहा समने झरना वादिया , पहाड़ियां जाओ खूब खेलो और खूब शोर मचाओ "
नीलू ने धीरे से मुस्कराते हुए अपने जुल्फों के बाल जो उसे बार परेशां कर रहे थे उन्हें अपने कान के पीछे से लेजाते हुए कहा "अब जी शोर करने का नहीं बस इस पल को जी लेने और बहुत सारी यादे समेट लेने का कर रहा है " कार्तिक ने भी एक सुन्दर सी स्माइल पास की और कुछ सोच में पड़ गया ||
कुदरत भी कितनी आजीव है , मेने तो ऐसा कभी सोचा ही नहीं था की मैं नेचर के इतने करीब जाउगा और बो भी उसके साथ जिसके साथ में एक पल साथ रहना भी मुश्किल समझने लगा था | हालाँकि मेने तो नायरा को लेकर ऐसा कभी सोचा भी था लेकिन ये कुदरत है इसे क्या मंजूर है ये ही जाने ||
नायरा का मन में जिक्र आने से उसे नायरा को लेकर चिंता होने लगी थी , उसे पता था की जरूर जीवन उसे अभी मेरे काम को लेकर टॉर्चर तो कर ही रहा होगा साथ ही उसे शारीरक उत्पीड़न भी दे रहा होगा |
वो उसके तन को भोगना चाहता है , उसके लिए हर सम्भब प्रयास करता ही रहता है | और नायरा बेचारी ऐसी फसी हुई है की उसे डिनॉय भी नहीं कर सकती |
काश में उसके लिए कुछ कर पाता , शायद बो जितनी शिद्दत से मुझे चाहती है मेने उसे न तो कभी एहसास दिलाया है और न ही उसे ये हक़ दिया है | मेरी समझ नहीं आ रहा की किस राह पर चल पड़ा हूँ | एक तरफ नीलू मेरे साथ पूरी शिद्दत से जुड़ चुकी है | और कही न कही मैं भी अपने दिल में उसे जगह दे चुका हूँ लेकिन अब नायरा को लेकर क्या फैसला करू , क्या जो मैं कर रहा हूँ वो नायरा के साथ न्याय कर रहा है |
हालाँकि न तो उसने मुझे अपने दिल की बात पहले कभी बताई ही नहीं थी , और मैं तो जग जाहिर है अपनी फीलिंग्स किसी के सामने प्रेजेंट ही नहीं कर पाता हूँ | अब इसमें न तो उसकी गलती है और न ही मेरी |
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अब ये उसके लिए क्या है मुझे समझ नहीं आ रहा की बैठा तो मैं नीलू की आगोश में हूँ लेकिन दिल में नायरा का ही ख्याल आ रहा है ये तो नीलू के साथ सरासर बेईमानी होगी , जबकि मेरे दिल और दिमाग को ऐसा नहीं करना चाहिए |
और अपनी कल्पना के सागर से कार्तिक बहार आ गया, उसने नीलू को पूछा "अब कही दूसरी जगह चले यार फिर और कुछ देर बैठना है यही "
नीलू ने कहा "ठण्ड तो बढ़ती जा रही है , अब हमे यहाँ से जल्दी चलना चाहिए और डॉक्टर ने वैसे भी आराम करने को ही कहा है "
कार्तिक ने कहा "लेकिन तुमने यहाँ बिलकुल भी मेरे से बात तो की ही नहीं बिलकुल शांत सहमी सी बैठी रही हो इसके पीछे कोई कारण है या कोई दुबिधा तो मेरे साथ शेयर कर सकती हो"
नीलू ने एक टक कुछ पल कार्तिक को देखने के बाद पूछा "कार्तिक तुम मुझे यू ही हमेशा प्यार करते रहोगे न "
कार्तिक ने अपने दोनों हाथो में नीलू के चेहरे को लेते हुए कहा "इसमें कोई शक है तुम्हे "
नीलू ने धीरे से सर हिलाया और पलके झुकाते हुए कहा "डर लगता है "
कार्तिक ने फिर से पूछा "डर कैसा डर "
नीलू ने स्माइल करके बात को टालने की कोशिश की लेकिन कार्तिक को उसकी स्माइल के पीछे छुपी असंका जननी थी उसने फिर से नीलू को पूछा "मैं जानता हूँ तुम्हारी ये स्माइल बहुत कुछ कहना चाह रही है तुम मुझे अगर बताना नहीं चाहती तो मत बताओ लेकिन स्माइल वो बाली स्माइल नहीं है जो तुम्हारे फेस पर हुआ करती है "
नीलू ने कुछ पलो के लिए मौन रख लिया और एक टक झरने की ओर देखती ही रही |
जब कार्तिक की ओर से कोई उत्सुकता न देख कर नीलू ने कहा "कार्तिक मैं सोच रही हूँ अगर तुम्हे बता दिया तो तुम विश्वास करोगे भी या नहीं , और कही मेरे लिए गलत न समझने लगो इसलिए "
कार्तिक के फेस पर गंभीरता के भाव थे उसने कहा "जहाँ प्रेम होता है वहां विश्वास भी होता है "
नीलू ने तुरंत पलट के कार्तिक की आँखों में देखा और उसे सच में उसके लिए उदार चेहरा दिखा आज ये वो बाला कार्तिक नहीं था जो रोज उससे बचता दूर भागता सा दिखता था , कार्तिक के चेहरे को देख कर नीलू को बस यही समझ आ रहा था की कार्तिक उसके बारे में सब कुछ जान लेना चाहता है ...
नीलू ने कहा "कार्तिक प्लीज इतने इमोशनल न हो वक्त आने पर मैं तुम्हे सब कुछ बता दूंगी , मैं अपने प्यार और अपने रिश्ते की बुनियाद सच पर रखना चाहती हूँ "
कार्तिक ने भी उसे फाॅर्स नहीं किया और कहा "किसी भी रिश्ते की बुनियाद अगर सच और दिल के जज्बातो से रखी जाये तो दुनिया की कोई भी ताकत उस रिश्ते को हिला नहीं सकती है "
अब नीलू कार्तिक के सीने से लग गयी और अपनी दोनों बाहो से उसे लकड़ लिया |
कार्तिक ने भी उसे अपनी बाहो में भर लिया था , उसके दिमाग के प्रश्न जन्म लेने लगे थे आज ये नीलू कल बाली नीलू नहीं है जो हमेशा उसकी गलती ढूंढती रहती थी लेकिन आज उसे गलती से कोई शिकायत नहीं बल्कि डर है , ये कैसा और कोनसा डर हो सकता है , क्या नीलू का भी कही कोई अफेयर है , जिसका खुलासा करना चाहती है ???
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1 Comments
Plz jadi agla part
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